पटना, बिहार | 3 जुलाई 2025:
जब हर कोई सिस्टम को कोस रहा होता है, तब कोई एक इंसान ऐसा होता है जो उस सिस्टम को भीतर से बदलने की ठान लेता है। Advocate Saurabh Mishra की कहानी उसी परिवर्तन की कहानी है — एक गरीब ब्राह्मण परिवार से निकलकर, आज देश के चर्चित आपराधिक मामलों के जानकार और वंचितों की आवाज़ बन चुके अधिवक्ता।
बचपन का सपना बना जीवन का मिशन
दरभंगा की गलियों और मधुबनी के खेतों से लेकर पटना के कोर्ट रूम तक, Saurabh Mishra ने एक लंबा सफर तय किया है। उनका सपना वकील बनना नहीं था, बल्कि “किसी के लिए उम्मीद बनना” था।
13 वर्षों से, वे न केवल बड़े आपराधिक मामलों की पैरवी कर रहे हैं, बल्कि गरीब, महिलाओं और उपेक्षित वर्गों के लिए न्याय को निःशुल्क और सुलभ बना रहे हैं।
डिग्री से नहीं, दृष्टि से मिली पहचान
PhD in Criminal Psychology और Criminology जैसे विषयों में उनकी विशेषज्ञता ने उन्हें कोर्ट रूम का एक अलग ही व्यक्तित्व बना दिया है। अपराधियों की मानसिकता को गहराई से समझने की उनकी क्षमता ने कई जटिल केसों को निर्णायक मोड़ दिया।
उनकी इस विशिष्टता को देखते हुए उन्हें अब तक 20 से अधिक राष्ट्रीय पुरस्कार मिल चुके हैं, जिनमें National Prestigious Award भी शामिल है।
जब परिवार ने दिया कंधा, तब बनी रीढ़
हर सफल इंसान के पीछे एक बलिदान की गाथा होती है। Saurabh Mishra के लिए यह बलिदान उनके परिवार ने दिया — विशेषकर उनकी मां मेघा देवी और पत्नी शोभा सिंह, जिनके समर्थन ने उन्हें कभी हारने नहीं दिया।
Saurabh कहते हैं:
“मेरी सफलता मेरे नाम पर नहीं, मेरी मां की आंखों के आंसुओं पर लिखी गई है।”
‘पेशे’ से ऊपर, यह है ‘परम धर्म’
Saurabh Mishra वकालत को कभी महज़ करियर नहीं मानते। उनके लिए यह एक सेवा है, एक धर्म है। उनका मानना है कि जब समाज का सबसे कमजोर वर्ग भी न्याय की उम्मीद आपसे लगाए, तो वह जिम्मेदारी आपके कंधे पर ईश्वर की तरह होती है।
उन्होंने अब तक सैकड़ों केस ऐसे लिए, जिनमें उन्होंने फीस नहीं ली, बल्कि सिर्फ़ इंसाफ की पुकार सुनी।
साहसी सोच, सरल व्यक्तित्व
बड़े-बड़े आईएएस, आईपीएस और जजों से घिरे होने के बावजूद उनका हृदय आज भी आम लोगों के लिए धड़कता है। उनका विनम्र स्वभाव, शांत व्यवहार और संवेदनशील दृष्टिकोण ही उन्हें अलग बनाता है।
वे कहते हैं:
“मेरे लिए मुकदमा जीतना महत्वपूर्ण नहीं, किसी टूटी हुई उम्मीद को फिर से खड़ा करना मायने रखता है।”
न्याय का प्रहरी, युवाओं का आदर्श
आज Advocate Saurabh Mishra न सिर्फ़ न्याय के लिए लड़ते हैं, बल्कि युवाओं को भी मार्गदर्शन देते हैं। वे फ्री लीगल सेमिनार, रूरल कैम्प्स और कानूनी साक्षरता अभियानों के जरिए समाज में जागरूकता फैला रहे हैं।
बिहार के गाँवों में उनका नाम आज भी “गरीबों के वकील” के रूप में लिया जाता है।
निष्कर्ष:
Advocate Saurabh Mishra का जीवन इस बात का प्रमाण है कि यदि इरादे सच्चे हों, तो परिस्थितियाँ बाधा नहीं, प्रेरणा बन जाती हैं। वे सिर्फ एक अधिवक्ता नहीं, बल्कि न्याय के एक दीपक हैं, जो समाज के अंधेरों को रोशनी में बदलने के लिए लगातार जल रहा है।
📌 प्रोफाइल संक्षेप में:
नाम: Advocate Saurabh Mishra
स्थान: पटना, बिहार
विशेषज्ञता: क्रिमिनल लॉ, क्रिमिनल साइकोलॉजी
अनुभव: 13 वर्षों का
योग्यता: PhD in Criminal Psychology & Criminology
सम्मान: 20+ राष्ट्रीय पुरस्कार
सेवाएं: नि:शुल्क केस (विशेषकर महिलाओं/वंचितों के लिए), सामाजिक न्याय अभियान, युवा मार्गदर्शन